कोटा के दादाबाड़ी स्थित दान बड़ी में प्राचीन कॉइन प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, आयोजक सौरभ लोढ़ा ने बताया कि तीन दिन तक चलने वाली मुद्रा प्रदर्शनी मैं देश भर के 200 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया, इसे इंडिया की सबसे बड़ी प्रदर्शनी बताते हुए उन्होंने कहा कि तिरुपति, सोमनाथ, महाराष्ट्र, गुजरात, सभी कलेक्शन करता इसमें शामिल रहे,
प्रदर्शनी की स्टाल पर आकाश वर्मा व लकी भाटिया ने बताया कि यदि आप नोटों को अच्छे से संभाल कर रखें उन्हें मोडे नहीं किसी कापी किताब में उन्हें सीधा रखें तभी उनकी वैल्यू बढ़ती है, लकी भाटिया ने 100 का नोट भी बताया जिसमें एक साइट पर सीरीज नंबर छपा हुआ नहीं था, कई सभ्यताओं के दर्शन देखने को मिले, गुप्त वंश मौर्य वंश मुग़ल साम्राज्य के साथ ब्रिटिश काल के सिक्के भी देखने को उपलब्ध हुए, विदेश की करेंसी भारत के पुराने सिक्के व नोट, डाक टिकटों की खरीद बिक्री भी रही, प्रदर्शनी में देश भर के आठ मुद्रा शास्त्री को जीवन गौरव सम्मान से नवाजा गया, देश के लिए सिक्कों का निर्माण करने वाली भारत की कोलकाता टकसाल इसका हिस्सा बनी, मुद्रा प्रदर्शन देखने के लिए ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर और कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा की उपस्थिति रही, आज रविवार को प्रदर्शनी का तीसरा दिन था, इसका समापन किया गया
मुद्रा प्रदर्शनी में गुप्तकालीन और मुगलकालीन साम्राज्य की मुद्राओं को देखकर उसे समय की आर्थिक व्यवस्था का इतिहास जीवंत होता है, प्रदर्शनी में पता चलता है कि उसे जमाने में किस प्रकार की टकसाले और सिक्के चलते थे, देशभर से आए अलग-अलग शेरों के 200 से अधिक लोगों की इस प्रदर्शनी में सिको करेंसी, नोट, डाक टिकट और उनसे जुड़ी सामग्री की स्टाल लगी है, राजा भोज के चांदी के सिक्के एग्जीबिशन में गुर्जर परिहार शासन के राजा भोज के समय के चांदी के सिक्के भी देखने को मिले, इस सिक्के के एक तरफ विष्णु भगवान पृथ्वी को लेकर बैठे हैं दूसरी तरफ श्रीमद् आदि वॉरा लिखा है, यह करीब 650 से 1027 ई. पुराने हैं, इतना ही नहीं अकबर शासन काल के डबल डाम तक करीब 41 ग्राम तांबे के बने हैं, जो 1556 से 1605 ई के है, वही पृथ्वीराज सिंह के शासनकाल के चांदी के सिक्के भी देखने को मिले, भारत का पहला सिक्का गंधार नरेश पुष्कर सिंह के शासनकाल में चांदी का बना था, जिसे सिल्वर बेंट बार कहा जाता है, यह छठी सदी का है यह करीब 2700 साल पुराना है l